नमस्कार मित्रों आप सब का हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है आज हम सहज और सरल शब्दों में इस आर्टिकल में चर्चा करने जा रहे हैं अध्यादेश निर्माण में राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकारों की तुलना के बारे में मित्रों राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है जब वह इस तथ्य से संतुष्ट हो कि उसी के लिए किसी विशिष्ट मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है और राज्यपाल तभी अध्यादेश ला सकता है जब वह इस तथ्य से संतुष्ट हो कि उसी के लिए किसी विशिष्ट मुद्दे पर तत्काल कारवाही करना आवश्यक है।
तो चलिए मित्रों हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार पूर्वक अध्यादेश निर्माण में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों की तुलना दोस्तों अगर आप छात्र हैं और क यूपी.एस.सी. एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आप सबके लिए या आर्टिकल पढ़ना अति आवश्यक है।
अध्यादेश निर्माण में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों की तुलना-( adhyadesh Nirman Mein Rashtrapati AVN Rajyapal ke adhikaron ki tulna)
राष्ट्रपति– (President) | राज्यपाल-(Governor) |
राष्ट्रपति-(Rashtrapati)
1. वह किसी अध्यादेश को केवल तभी प्रख्यापित कर सकता है जब संसद के दोनों सदन या कोई एक सदन सत्र में ना हो। दूसरे उपबंध से अभिप्राय है कि राष्ट्रपति तब भी कोई अध्यादेश प्रख्यापित कर सकता है जब केवल एक सदन सत्र में हो क्योंकि कोई भी विधि दोनों सदनों द्वारा पारित की जानी होती है ना की एक कदम द्वारा।
2. वह किसी अध्यादेश को तभी प्रख्यापित कर सकता है जब वह देखे कि ऐसी परिस्थितियां बन गई कि त्वरित कदम उठाना आवश्यक है।
3. अध्यादेश निर्माण शक्ति के मामले में उसे संसद के सह-अस्तित्व में के समान सकती है अर्थात वह उन्हीं विषयों अध्यादेश जारी करता है जिनके संबंध में संसद विद बनाती है।
4. उसके द्वारा जारी कोई अध्यादेश उसी तरह प्रभावी है जैसे संसद द्वारा निर्मित कोई अधिनियम।
5. संसद द्वारा पारित किसी अधिनियम की सीमाओं के बराबर ही उसके द्वारा जारी अध्यादेश की सीमाएं हैं। इसका मतलब उसके द्वारा जारी अध्यादेश अवैध हो सकता है यदि वह संसद द्वारा बन सकने योग्य ना हो।
6. वह एक अध्यादेश को किसी भी समय वापस कर सकता है।
7. उसकी अध्यादेश निर्माण के सख्त स्वैच्छिक नहीं है, इसका मतलब हुआ कोई विधि बनाने या किसी अध्यादेश को वापस लेने का काम केवल प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद के परामर्श पर ही कर सकता है।
8. उसके द्वारा जारी अध्यादेश को सदन के दोनों सदनों के सभापटल पर रखा जाना चाहिए।
9. उसी के द्वारा जारी अध्यादेश संसद का सत्र प्रारंभ होने के छह माह उपरांत समाप्त हो जाता है यह उस स्थिति में पहले भी समाप्त हो जाता है जब संसद के दोनों सदन इसे अस्वीकृत करने का संकल्प पारित करे।
10. उसे अध्यादेश बनाने में किसी ने देश की आवश्यकता नहीं होती।
राज्यपाल-(Rajyapal)
1. वह किसी अध्यादेश को तभी प्रख्यापित कर सकता है जब विधानसभा (एक परिषदीय व्यवस्था में) सत्र में ना हो यह सत्र में बहुसदस्यीय व्यवस्था) विधानमंडल के सदन सत्र में ना हो। दूसरी व्यवस्था कानून के अध्यादेश के बारे में तब लागू होती है जब केवल एक सदन (बहुसदनीय व्यवस्था) सत्र में ना हो क्योंकि विधेयक का दोनों सदनों द्वारा पारित होना जरूरी है।
2. जब वह इस बात से संतुष्ट हो कि अब ऐसी परिस्थितियां आ गई है कि तुरंत कदम उठाया जाना जरूरी है तो वह अध्यादेश प्रख्यापित कर सकता है।
3. अध्यादेश निर्माण की उसकी शक्ति राज्य विधान परिषद के सह-अस्तित्व के रूप में है यानी वह उन्हीं मुद्दों पर अध्यादेश जारी करता है जिन पर विधानमंडल कोविड-19 का अधिकार है।
4. उसी के द्वारा जारी अध्यादेश की शक्ति राज्य विधान मंडल द्वारा जारी अधिनियम के समान होती है।
5. उसी के द्वारा अध्यादेश की मान्यता राज विधान परिषद के अधिनियम के बराबर है। अर्थात उसके द्वारा जारी अध्यादेश यदि विधानमंडल द्वारा पारित करने की सीमा में नहीं होगा तो वह अवैध हो जाएगा।
6. वह एक अध्यादेश को किसी भी समय वापस कर सकता है।
7. उसकी अध्याय निर्माण के साथ स्वैच्छिक नहीं है।इसका मतलब वह कोई विधि बनाने या किसी अध्यादेश को वापस लेने का काम केवल मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कर सकता है।
8. उसके द्वारा जारी अध्यादेश को पुनः निर्मित करने के लिए उससे विधानमंडल के दोनों सदनों (द्विसदनीय व्यवस्था में) के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
9. उसके द्वारा जारी अध्यादेश राज्य विधानमंडल का सत्र प्रारंभ होने के 6 सप्ताह उपरांत समाप्त हो जाता है। यह इससे पहले भी समाप्त हो सकता है यदि राज्य विधानसभा इसे अस्वीकृत करें और विधान परिषद (जहां हो) इस अस्वीकृति को सहमत प्रदान करें।
10. यह बिना राष्ट्रपति से निर्देश के निम्न तीन मामलों में अध्यादेश नहीं बना सकता यदि-
(अ) राज्य विधानमंडल में इसकी प्रस्तुति के लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति आवश्यक हो।
(ब) यदि वह समान बंधु वाले विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ आवश्यक माने।
(स) यदि राज्य विधानमंडल का अधिनियम ऐसा हो कि राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना या अवैध हो जाए।
अस्वीकरण-(Disclemar)
दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ा होगा और समझा होगा अध्यादेश निर्माण में राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकारों की तुलना को विस्तार पूर्वक दोस्तों यह आर्टिकल हमने अपने शिक्षा के आधार पर दिया है इसीलिए आर्टिकल सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है, तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे।