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भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ – Bharat mein Islam ka aagman Kab Hua

नमस्कार मित्रों आप सबका हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में सहज और सरल शब्दों में चर्चा करने जा रहे हैं भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ था इसके बारे में मित्रों अल्लाह के पद पूर्ण विश्वास समर्पण एवं निष्ठा ही इस्लाम है। इस्लाम का उदय अरब देश के मक्का में हुआ था और धीरे-धीरे पूरे विश्व में इसका प्रसार हो गया। सातवीं शताब्दी में भारत पर अरबों के आक्रमण के बाद भारतीय लोग इस्लाम से परिचित हुए और धीरे-धीरे इस्लाम भारतीय संस्कृत का अंग बन गया। तो चलिए दोस्तों अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार पूर्वक की भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ था

भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ – (Bharat mein Islam ka aagman Kab Hua)

दोस्तों सबसे पहले हम यह जानेंगे कि इस्लाम धर्म की शुरुआत कहां से हुआ। फिर हम जानेंगे भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ।

इस्लाम धर्म की शुरुआत-(Islam Dharm ki shuruaat)

दोस्तों यह अरब देश की बात है वहां से मक्का नामक शहर में सन 1570 ईस्वी में हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था। मोहम्मद साहब कुरैश कबीले के थे। उस समय अरब में अनेक छोटे-छोटे कबीले थे जो लगातार एक दूसरे से लड़ते रहते थे। यह लोग बहुत सारे देवी देवताओं की पूजा करते थे। हजरत मोहम्मद इन कमीनों के बीच आपसी सौहार्द एवं भाईचारा बढ़ाने के लिए यह संदेश देने लगे कि ईश्वर एक है। एकमात्र अल्लाह की सीधे और सरल तरीके से प्रार्थना करनी चाहिए मोहम्मद साहब ने कहा कि अल्लाह को मानने वाले सब लोग बराबर हैं और एक हैं।

प्रारंभ में मक्का शहर के कई लोगों ने मोहम्मद साहब की बातों का विरोध किया था यहां तक कि मोहम्मद साहब को मक्का छोड़कर 622 ईसवी में दूसरे शहर मदीना जाना पड़ा था। इनका यह जाना हिजरत कहा जाता है। इसी समय से मुसलमानों का हिजरी संवत प्रारंभ होता है। मदीना में ही पवित्र कुरान की रचना हुई तथा यहीं पर उनकी शिक्षाओं को निश्चित रूप मिला। धीरे-धीरे अरब के सारे कबीले मोहम्मद शाह की बातें मानने लगे इस्लाम धर्म अरब देश से प्रारंभ होकर दुनिया के कई देशों में फैला मोहम्मद साहब की मृत्यु 632 ईस्वी में हुई।

इस्लाम के 3 बुनियादी सिद्धांत हैं- समत, समानता तथा बंधुत्व। इस्लाम धर्म में लोग मानते हैं- अल्लाह एक है और एक वह उसके बंदे हैं तथा हजरत मोहम्मद, अल्लाह का पैगाम (संदेश) लाने वाले पैगंबर।

मोहम्मद साहब के देहावसान के बाद अरब में खलीफा ओं का प्रभुत्व स्थापित हो गया। खलीफा पैगंबर के उत्तराधिकारी के रूप में मुस्लिम जगत के धार्मिक गुरु तथा राजनीतिक हो शासक होते थे। इन्होंने अपना साम्राज्य अरब देश सीरिया, इराक, ईरान, मिस्र, उत्तरी अफ्रीका तथा स्पेन तक फैलाया।

दोस्तों अब हम आगे इस आर्टिकल में जानते हैं कि भारत में इस्लाम धर्म का आगमन कब हुआ

भारत में इस्लाम धर्म का आगमन कब हुआ -(Bharat mein Islam Dharm ka aagman Kab Hua)

भारत में इस्लाम धर्म का समय-समय पर कई तरह से आया हुआ फैला जैसे- आरोपों द्वारा भारत पर आक्रमण से व्यापारियों के माध्यम से, ईरानी शरणार्थियों और सूफी संतों के आने से। भारत में इस्लाम धर्म के प्रसार के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

1. अरबों का आक्रमण– भारत पर अरबों का पहला आक्रमण खलीफा उम्र के समय 636 ई. में थाना (पश्चिमी तट) पर हुआ। यह आक्रमण सफल नहीं हुआ। इस आक्रमण से भारतीय लोग सबसे पहले इस्लाम धर्म मानने वालों के संपर्क में आए। इसके बाद समय-समय पर भारत पर अरबों का आक्रमण होता रहा। इसमें पूर्ण सफलता मोहम्मद बिन कासिम को प्राप्त हुई। मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में सिंध के शासक राजा दाहिर को पराजित कर सिंध पर अरबों का राज स्थापित किया।

2. कई अरब व्यापारी जो इस्लाम धर्म को मानते थे, भारत के पश्चिमी तट पर व्यापार करने आए थे। वहां के बंदरगाहों में वे छोटी-छोटी बस्तियां बनाकर बसे। राजाओं ने उन्हें बसने में मदद की। उन्हें अपने घर गोदाम बनाने के लिए जमीन भदी। इन व्यापारियों के प्रारंभ से आसपास के लोग इस्लाम धर्म से परिचित हुई।

3. भारत के उत्तरी हिस्सों में इस्लाम धर्म की जानकारी ईरानी शरणार्थियों के द्वारा 900 ई. के लगभग ईरान देश पर तुर्क कबीले हमले कर रहे थे। इन हमलों में बचने के लिए कई ईरानी लोग भारत आए। उनमें कई लोग कारीगर थे और कई लोग संत थे। कुछ सिपाही भी आए जो भारतीय शासकों की सेनाओं में शामिल हो गए। यह ईरानी लोग मुसलमान थे इनके संपर्क में आकर बहुत से लोगों को इस्लाम के बारे में जानकारी मिली।

4. 12वीं शताब्दी के अंतिम शासक से भारत में तुर्क लोगों ने अपना राज्य स्थापित किया था। इस समय तक तुर्क लोग भी इस्लाम धर्म मानने लगे थे। तुर्कों के साथ बड़ी संख्या में ईरानी, अफगानी, खुरासानी लोग भी भारत आकर बसे।

5. 12वीं शताब्दी से 16वी शताब्दी के बीच कई ऐसे संत हुए जैसे कबीर, नानक, तुकाराम, रामानंद जिन्होंने साधारण भाषा में दोहे और गीत गाए, जो ईश्वर के प्रति भक्ति भाव से भरे थे। इन्हीं भक्त संतों की तरह कई मुसलमान संत भी थे, जो सूफी संत कहलाते थे। अजमेर के ख्वाजा मोईनुददीन चिश्ती पंजाब के बाबा फरीद दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया बहुत जाने-माने सूफी संत थे।

सूफी संतों के विचार भक्त संतों के विचार से मिलते जुलते थे। सूफियों ने इस बात पर जोर दीया की सच्चे दिल से अल्लाह को प्रेम करना और अपने बुरे कर्मों पर पश्चाताप करना अल्लाह को पाने का सही तरीका है। संतो के विचारों की मदद से हिंदू और मुसलमान लोगों ने एक-दूसरे के धर्म की समान बातें समझीं। लोगों के बीच यह विचार बैठने लगा कि एक ही ईश्वर है उसे अल्लाह, ईश्वर, परमेश्वर, भगवान जैसे नामों से जाना जाता है।

मिलने-जुलने के फायदे -(Milte julate fayde)

जब दो अलग-अलग संस्कृति के लोग आपस में मिलते हैं तो एक दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं जब अरबी लोग भारत आए तो वह अपने साथ वहां अरब के रीति रिवाज व धर्म इस्लाम लाए अरबों तथा भारतीयों ने एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा इससे उनके रहन-सहन तथा जीवन में बदलाव आया अरबों ने कई भारतीय ग्रंथों का अरबी भाषा में अनुवाद किया

भारतीयों ने अरबों से सीखा
1. कागज बनाना।
2. चरखे से सूट काटना।
3. सिले हुए कपड़े सलवार कमीज।
4. खान-पान- कचौड़ी, समोसा बनाना।
अरबों ने भारतीयों से सीखा
1. हिंदी संख्या से अरबी संख्या बनाना।
2. संख्याओं की गणना करना।
3. ज्योतिष।
4. गणित।
5. शतरंज का खेल।
6. भारतीय संगीत।
7. चिकित्सा शास्त्र (आयुर्वेद का ज्ञान)।

अस्वीकरण-(Disclemar)

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ा होगा और समझा होगा कि भारत में इस्लाम का आगमन कब हुआ। दोस्तों यह पोस्ट हमने अपने स्टडी के माध्यम से लिखा है इसलिए यह पोस्ट सही है। अगर आप सबको इसमें कोई संदेह दिखाई पड़ता है तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयास करेंगे।

Written by skinfo

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