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लोकमत किसे कहते हैं,अर्थ और परिभाषा-Lokmat kise kahte hain Arth aur Paribhasha

नमस्कार दोस्तों आप सबका मारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों इस आर्टिकल में हम जानेंगे लोकमत का अर्थ और परिभाषा दोस्तों साधारण शब्दों में लोकमत का तत्व सामान्य सार्वजनिक समस्याओं के संबंध में जनता के मत से है। किन्ही भी व्यक्तियों द्वारा एक देश की शासन व्यवस्था का संचालन जनता द्वारा प्रगट या मौन स्वीकृति के आधार पर ही किया जा सकता है। तो चलिए दोस्तों अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल में सबसे पहले जानते हैं लोकमत का अर्थ और परिभाषा फिर हम जानेंगे लोकमत का महत्व और फिर लोग मुक्त का निर्माण और उसकी अभिव्यक्त

लोकमत का अर्थ और परिभाषा(Lokmat ka Arth aur Paribhasha)

साधारण शब्दों में और शाब्दिक अर्थ के आधार पर लोकमत को जनता का मत कहा जा सकता है लेकिन इतना कह देने मात्र से ही लोकमत का अर्थ स्पष्ट नहीं हो जाता है क्योंकि जनता का मत स्वयं नितांत स्पष्ट धारणा है। विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई लोकमत की परिभाषाएं इस प्रकार हैं।

1. ब्राइस के अनुसारलोकमत मनुष्यों के उन विभिन्न दृष्टिकोण ओं का योग्य मात्र है जो व सार्वजनिक क्षेत्र से संबंध संबद्ध विषयों के बारे में रखते हैं
2. विलोवी तथा रोजर्स के अनुसार- लोकमत उन व्यक्तियों के विचारों का परिणाम होता है जो सामान्य हित के विषयों पर निर्णय की ओर अग्रसर होते हैं।
3.लावेल के अनुसार – लोकमत के लिए केवल बहुमत की पर्याप्त नहीं होता और ना ही एकमत की आवश्यकता होती है।कोई भी मत लोकमत का रूप धारण करने के लिए ऐसा होना चाहिए जिसमें चाहे अल्पमत भागीदार ना हो परंतु भाई के कारण नहीं, वरन् दृढ़ विश्वास के कारण उसे स्वीकार करता हो।
4. गिन्सबर्ग के अनुसार- लोकमत का अभिप्राय समाज में प्रचलित उन विचारों का निर्णय के समूह से होता है, जो लगभग निश्चित रूप में प्रतिपादित होते हैं, जिनमें कुछ स्थायित्व होता है और उन्हें मानने वाले लोग उन्हें इस अर्थ में सामाजिक समझते हैं कि वह अनेक मस्तिष्कों को द्वारा एक साथ विचार करने के परिणाम हैं। लोकमत की लगभग इसी प्रकार की परिभाषा सोल्टाऊ और डूबे के द्वारा की गई है और इन परिभाषा ओं के आधार पर लोकमत की निम्नलिखित तीन विशेषताएं कही जा सकती ह

लोकमत की लगभग इसी प्रकार की परिभाषा सोल्टाऊ और डूबे के द्वारा की गई है और इन पर भाषाओं के आधार पर लोकमत की निम्नलिखित तीन विशेषताएं कही जा सकती हैं :

1. जनसाधारण कामत
2. विवेक पर आधारित स्थायी विचार
3.लोक कल्याण की भावना से प्रेरित
लोक कल्याण की भावना से प्रेरित

1. जनसाधारण का मत – किसी विशेष वर्ग या व्यक्तियों के मत को लोकमत नहीं कहा जा सकता लोकमत के लिए यह आवश्यक है कि वह जन साधारण का मत हो।

2. विवेक पर आधारित स्थायी विचार – लोकमत भावनाओं के स्थिर आवेगी या एक समय विशेष में प्रचलित विचार पर आधारित ना होकर जनता के विवेक और स्थायी विचारों पर आधारित होता है।

3. लोकमत की तीसरी विशेषता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और यह कहा जा सकता है कि चाहे दूसरी परिस्थितियां विद्यमान हो या ना हो, लोकमत आवश्यक रूप से लोककल्याण की भावना से प्रेरित होता है। डॉ. बेनी प्रसाद ने कहा है कि वही मत वास्तविक लोकमत होता है जो जनकल्याण की भावना से प्रेरित हो।

इन विशेषताओं के आधार पर लोकमत की परिभाषा करते हुए कहा जा सकता है कि´´ लोकमत सामान्य जनता के स्थायी विचारों पर आधारित हुआ विवेकपूर्ण विचार होता है जो आवश्यक रूप से जनकल्याण की भावना से प्रेरित हो।

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लोकमत का महत्व(Lokmat ka mahtw)

लोकमत का महत्त्व निम्न प्रकार देखा जा सकता है :

1. शासन की निरंकुशता पर नियंत्रण
2.सरकारी अधिकारियों पर नियंत्रण
3. सरकार का पथ प्रदर्शन
4. स्वार्थी राजनीतिज्ञों पर नियंत्रण
5. विभिन्न संस्थाओं को कर्तव्यों की चेतावनी
6. नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा

1. शासन की निरंकुशता पर नियंत्रण – प्रजातंत्र में जब कभी यह देखा जाता है कि कोई सरकार मनमानी करने का प्रयत्न कर रही है तो जनमत के द्वारा शासन की निरंकुशता पर नियंत्रण रखने का कार्य किया जाता है। प्रजातंत्र में सरकार को स्थायी बनाने के लिए जनमत के समर्थन तथा सहमत की आवश्यकता होती है। जनमत के बल पर ही सरकारें बनती तथा बिगड़ती हैं।

2. सरकारी अधिकारियों पर नियंत्रण – प्रजातंत्रीय सरकार साधारण जनता की सरकार होती है। अतः शासन को सुचारू रीति से तथा कुशलतापूर्वक चलाने के लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के अनुचित कार्यों की आलोचना आवश्यक हो जाती है। इस आवश्यकता की पूर्ति जनमत ही करता है।

3. सरकार का पथ-प्रदर्शन – प्रजातंत्र सरकार में जनमत सरकार का पथ-प्रदर्शन कहा जाता है। जनमत से सरकार को इस बात की जानकारी होती है कि जनता क्या चाहती है और क्या नहीं चाहती है। जनमत से ही सरकार या जान सकती है कि उसके द्वारा किन कानूनों का निर्माण किया जाए और किन कानून का नहीं। लोकतंत्र में जनमत ही सरकार की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। सरकार जनमत के अनुसार शासन का संचालन कर लोकप्रियता अर्जित कर सकती है तथा लोकतंत्र की जड़ें अर्जित कर सकती है तथा लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर सकती है।

4. स्वार्थी राजनीतिज्ञों पर नियंत्रण – जनमत स्वार्थी तथा बेईमान राजनीतिज्ञों और नेताओं पर नियंत्रण रखता है जिसमें वह सरकार को अपने मित्र तथा संबंधियों को स्वार्थ सिद्धि का साधन ना बना लें।

5. विभिन्न संस्थाओं को कर्तव्यों की चेतावनी – जनमत भिन्न – भिन्न सामाजिक संस्थाओं को उनके वास्तविक कर्तव्य की चेतावनी देता रहता है। इससे उनमें स्वार्थपरता तथा संकीर्णता नहीं आने पाती। जनमत इन समुदायों को संपूर्ण जनता के प्रति उनके कर्तव्य बताता है। जो समुदाय सार्वजनिक हित के विरुद्ध काम करता है, उसकी जनमत द्वारा तीव्र आलोचना एवं निंदा की जाती है। कोई भी संख्या इस आलोचना और निंदा की अवहेलना नहीं कर सकती। इस प्रकार जनमत सामुदायिक जीवन को सार्वजनिक हित में ढालने का कार्य करता है।

6. नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा – जब कभी सरकार जनता की स्वतंत्रता के विरुद्ध कार्य करने का प्रयत्न करती है तो जनमत उन्हें इस प्रकार अनुचित कार्य करने से रोक कर जनस्वतंत्र की रक्षा करता है। इस प्रकार यह बात नितांत स्पष्ट है कि लोकमत का बहुत अधिक महत्व होता है।

निष्कर्ष(conclusion)

दोस्तों साधारण शब्दों में लोकमत का तात्पर्य सामान सर्वजनिक समस्याओं के संबंध में जनता के मत से है। किन्ही भी व्यक्तियों द्वारा एक देश की शासन

अस्वीकरण(Disclemar)

दोस्तों इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी हमने अपने स्टडी के माध्यम से लिखा है इसलिए यह काफी हद तक सही है। अगर आप सबको इस आर्टिकल में कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है तो आप लोग कमेंट करके बता सकते हैं।

Written by skinfo

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