नमस्कार दोस्तों आप सबका हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों आज हम अपने इस वेबसाइट के माध्यम से इस आर्टिकल में चर्चा करने जा रहे हैं मंत्री परिषद की संरचना के बारे में और फिर जानेंगे मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल तथा मंत्रिमंडल की भूमिका के बारे में सारी बातें आप सब को इस आर्टिकल में विस्तारपूर्वक बताने वाला हूं ?
मंत्री परिषद की संरचना – Mantri Parishad ki sanrachna
मंत्री परिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं – कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री व उपमंत्री। उनके बीच का अंतर है – उनका पदक्रम, वेतन तथा राजनीतिक महत्व इन सभी मंत्रियों का प्रमुख प्रधानमंत्री है जो सरकार का उच्चतम कार्यकारी है।
कैबिनेट मंत्रियों के पास केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे गृह, रक्षा, वित्त, विदेश व अन्य मंत्रालय होते हैं।वे कैबिनेट के सदस्य होते हैं और इनकी बैठकों में भाग लेते हैं तथा नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः इनके उत्तरदायित्व की परिधि संपूर्ण केंद्र सरकार पर है।
राज्य मंत्रियों को मंत्रालय विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है अथवा उन्हें कैबिनेट मंत्री के साथ सहयोगी बनाया जा सकता है। सहयोग के मामलों में उन्हें कैबिनेट मंत्री के मंत्रालय के विभागों का प्रभार दिया जा सकता है अथवा मंत्रालय से संबंधित कोई विशेष कार्य सौंपा जा सकता है। दोनों ही मामलों में वह कैबिनेट मंत्री की देखरेख सलाह तथा उनकी जिम्मेदारी पर कार्य करते हैं। स्वतंत्र प्रभार के मामले में वह अपने मंत्रालय का कार्य कैबिनेट मंत्री की तरह ही पूरी शक्ति व स्वतंत्रता से करते हैं हालांकि वह कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं तथा उनकी बैठकों में भाग नहीं लेते हैं तब तक बैठक में भाग नहीं लेते जब तक उन्हें उनके मंत्रालय से संबंधित किसी कार्य विशेष रूप से आमंत्रित किया जाए।
इस क्रम में अगला क्रम उपमंत्रियों क है। उन्हें मंत्रालयों का स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता है। उन्हें कैबिनेट अथवा राज्य मंत्रियों को उनके प्रशासनिक राजनीतिक और संसदीय कार्यों में सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है। वे कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं तथा कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं।
यह उल्लेख करना आवश्यक है कि मंत्रियों की एक और श्रेणी भी है जिन्हें संसदीय सचिव कहा जाता है। वे मंत्री परिषद की अंतिम श्रेणी में आते हैं जिसे मंत्रालय भी कहा जाता है। उनके पास कोई भी विभाग नहीं होता है। वे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ उनके संसदीय कार्य में सहायता के लिए नियुक्त होते हैं। हालांकि 1967 से राजीव गांधी की सरकार के प्रथम विस्तार को छोड़कर कोई भी संसदीय सचिव नियुक्त नहीं किया गया है।
कई बार पर, मंत्री परिषद में उपप्रधानमंत्री को भी शामिल किया जा सकता है। उपप्रधानमंत्री मुख्यत: राजनीतिक कारणों से नियुक्त किया जाता है।
मंत्रीपरिषद बनाम मंत्रीमंडल(Mantri Parishad banaam Mantrimandal)
मंत्रीपरिषद तथा मंत्रिमंडल यह दोनों शब्द अक्सर एक दूसरे के लिए प्रयोग किए जाते हैं परंतु इनमें एक निश्चित अंतर है। ये एक दूसरे से अपनी संरचना कार्यों का भूमिकाओं के कारण निम्न है —
मंत्री परिषद | मंत्रिमंडल |
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यह एक बड़ा निकाय है जिसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं | यह एक लघु निकाय है जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं। |
इसमें मंत्रियों की तीनों श्रेणियों कैबिनेट मंत्री राज्य मंत्री व उप मंत्री होते हैं | इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं आता है या मंत्री परिषद का एक भाग है |
यह सरकारी कार्यों हेतु एक साथ बैठक नहीं करती है इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं है | यह एक निकाय की तरह है यह सामान्यता हफ्ते में एक बार बैठक करती है |
इसे सभी शक्तियां प्राप्त हैं परंतु कागजों में | यह वास्तविक रूप में मंत्री परिषद की शक्तियों का प्रयोग करती है |
इसके कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल करती है | यह मंत्री परिषद को राजनीति निर्णय लेखन निर्देश देती है |
यह मंत्रिमंडल के निर्णय को लागू करती है | या मंत्री परिषद द्वारा अपने निर्णय के अनुपालन की देखरेख करती है। |
यह एक संवैधानिक निकाय है इसका विस्तृत वर्णन संविधान के अनुच्छेद 74 तथा 75 में किया गया है। इसका आकार और वर्गीकरण संविधान में वर्णित नहीं है। इसके आकार का निर्धारण प्रधानमंत्री समय और स्थिति को देखकर करता है। यह ब्रिटेन में विकसित संसदीय व्यवस्था के आधार पर त्रिस्तरीय निकाय के रूप में वर्गीकृत है। हालांकि इसे विधायी मंजूरी प्राप्त है। अतः वेतन एवं भत्ते अधिनियम 1992 मंत्री को मंत्री परिषद का सदस्य बताया गया है चाहे उसे जिस नाम से पुकारा जाए इसे में मंत्री भी शामिल है। | इसे संविधान के अनुच्छेद 352 में 1978 के 44 वें संविधान संशोधन नियम द्वारा शामिल किया गया। |
या सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई है | यह मंत्री परिषद की लोकसभा के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करती है |
मंत्रिमंडल की भूमिका(Mantrimandal ki Bhumika)
1. यह हमारी राजनीतिक प्रशासनिक व्यवस्था में उच्चतम निर्णय लेने वाली संस्था है।
2. या केंद्र सरकार की मुख्य नीति निर्धारक अंग है।
3. यह केंद्र सरकार के उच्च कार्यकारिणी है।
4. या केंद्रीय प्रशासन की मुख्य समन्वयक है।
5. यह राष्ट्रपति के सलाहकार संस्था है तथा इसका परामर्श उस पर बाध्यकारी है।
6. यह मुख्य आपदा प्रबंधन है और सभी आपातकालीन स्थितियों से निपटती है।
7. यह सभी बड़े विधायी और वित्तीय मामलों से निपटती है।
8. या उच्चतम स्तर पर जैसे संवैधानिक अधिकारियों और वरिष्ठ सचिवालय प्रशासकों की नियुक्ति को नियंत्रित करती है।
9. यह विदेश नीतियों और विदेश मामलों को देखती है।
मंत्रीपरिषद से संबंधित अनुच्छेद(Mantri Parishad se sambandhit anuchchhed)
अनुच्छेद | विषय वस्तु |
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74 | मंत्री परिषद द्वारा राष्ट्रपति को सहयोग एवं परामर्श देना |
75 | मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान |
77 | भारत सरकार द्वारा कार्यवाहियों का संचालन। |
78 | राष्ट्रपति को सूचनाएं प्रदान करने से संबंधित प्रधानमंत्री के दायित्व |
अस्वीकरण(Disclemar)
दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ा होगा और जाना भी होगा कि मंत्री परिषद किसे कहते हैं तथा उनके कार्य क्या होते हैं। सारी बातें आप लोगों ने विस्तारपूर्वक जाना। दोस्तों इस आर्टिकल में जो जानकारी हमने दी है वह हमने अपने शिक्षा के अनुभव के आधार पर दिया है इसलिए यह आर्टिकल सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे।