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नगरीय जीवन की समस्याएं-Nagariy jeevan ki Samasyayen

नमस्कार मित्रों आप सबका हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है मित्रों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप सबको बताएंगे नगरीय जीवन की समस्याएं मित्रों यदि यदि आप लोग छात्र हैं और किसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं जैसे यूपीएससी, पुलिस कांस्टेबल, रेलवे, पटवारी आदि कई प्रतियोगिता परीक्षा है जिसकी अगर आप तैयारी कर रहे हैं, तो आप सबके लिए यह आर्टिकल पढ़ना अति आवश्यक है। चलिए मित्रों अब हम इस आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नगरीय जीवन की समस्याएं

मित्रों नगरों का विकास योजनाबद्ध ढंग से होता और नगरों की जनसंख्या रोजगार के अवसरों और नगरीय जीवन की सुविधाओं के उपलब्ध साधनों तक सीमित रहती तो नजरों के जीवन में सामान्य सुविधाओं और सुख की कल्पना की जा सकती थी। लेकिन भारत के नगरीय जीवन में इनमें से कोई भी बात नहीं है। परिणामतया नगरीय जीवन की कुछ मुख्य समस्याओं का उल्लेख निम्न प्रकार है।

1. आवासीय मकानों की घोर कमी
2.गंदी बस्तियों की वृद्धि
3. नगरिया सुविधाओं के अभाव की समस्या
4. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
5. यातायात की समस्या
6. स्वास्थ्य और चिकित्सा संबंधित समस्याओं में वृद्धि
7. प्रशासनिक समस्याओं का प्रादुर्भाव
8. महंगा जीवन
9. अन्य समस्याएं

1. आवासीय मकानों की घोर कमी – नगरीकरण की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या के लिए आवासीय मकान की व्यवस्था करना है। ऊंचे किराए तथा स्वास्थ्यप्रद मकान ओं की कमी से गंदी बस्तियों को बढ़ाया है।

2. गंदी बस्तियों की वृद्धि – नगरीकरण के कारण बढ़ते नगरों में जनसंख्या की वृद्धि, मकानों का अभाव और ऊंचे किराए आदि के कारण बड़े-बड़े शहरों में गंदी बस्तियों की वृद्धि होती है। मुंबई दिल्ली कानपुर चेन्नई कोलकाता ही नहीं कई छोटे-छोटे शहरों में भी गंदी बस्तियों में निरंतर वृद्धि हो रही

3. नगरीय सुविधाओं के अभाव की समस्या – भारत में बढ़ते नगरीकरण के कारण नागरिकों को अनिवार्य सुविधाओं के अभाव की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जल आपूर्ति में कमी की समस्या, आवागमन के साधनों की समस्या, बिजली की समस्या आदि प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश में ही बिजली की आपूर्ति आवश्यकता से 30% कम है।

4. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या – नगरीकरण के कारण नगरों में बढ़ती जनसंख्या और गंदी बस्तियां आदि से जल-प्रदूषण वायु-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण आदि की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। शहरों में परिवहन के साधनों से वायु प्रदूषण तजी से बढ़ता जा रहा है कि लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने का अवसर ही नहीं मिलता।

5. यातायात की समस्या – बड़े-बड़े शहरों एवं नगरों में लोगों की भीड़-भाड़ वाहनों की तेजगति तथा परिवहन में अफरा-तफरी मानसिक अशांति एवं बढ़ते तनाव तथा अनावश्यक जल्दबाजी आदि कारणों से नगरीकरण ने दुर्घटनाओं की समस्या को बढ़ा दिया है।

6. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी समस्याओं में वृद्धि – नगरों एवं शहरों में गंदी बस्तियों, पर्यावरण प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या आदि के कारण नगरीकरण में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधित समस्याओं को भी बढ़ाया है।

7. प्रशासनिक समस्याओं का प्रादुर्भाव – नगरीकरण से नगरों एवं शहरों में बढ़ती भीड़-भाड़ दुर्घटनाएं, परिवहन नियंत्रण एवं जल, विद्युत एवं दैनिक उपभोग की वस्तुओं की आपूर्ति, चोरी-डकैती, सफाई आदि सभी प्रकार के कार्यों के लिए प्रशासनिक समस्या भी बढ़ती जा रही है। महानगर महानगरों में विकसित होती संस्कृति और कुछ लोगों के पास धन-संपत्ति की बहुलता नित्य नए अपराधों को जन्म दे रहे हैं। कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की समस्या भी जटिल होती जा रही है।

8. महंगा जीवन – शहरों एवं नगरों में आवास की समस्या से ऊंचे किराड़े परिवहन लागत में वृद्धि, महंगी साग-सब्जी दैनिक उपभोग की वस्तुओं के ऊंचे दाम आदि कारणों से नगरीय जीवन बहुत महंगा हो गया है और गरीबों का जीविकोपार्जन कठिन हो गया है।

9. अन्य समस्याएं – सामाजिक बुराइयां एवं नैतिक पतन की प्रवृत्तियां आदि बढ़ती जा रही है। रोजगार की समस्या भी विकट होती जा रही है। बड़े-बड़े महानगरों के समीप ही उपनगरों के विकास में नगरीकरण की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। समाज में व्याप्त बलात्कार, चोरी-डकैती और अपहरण व्यभिचार आदि की समस्या भी विकट होती जा रही है।

नगरीय जीवन की समस्याओं का समाधान(Nagriy jeevan ki Samsyaon ka Samadhan)

मित्रों नगरों के जीवन की समस्याओं के समाधान तथा समस्याओं को कम करने के निम्न सुझाव हैं?

1. नगर नियोजन
2. गंदी बस्तियों की सफाई की पर्याप्त व्यवस्था
3. प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का नजरों से दूर स्थानांतरण
4. प्रशासन द्वारा सतर्कता शक्ति
5. आवासीय भवनों के निर्माण को प्रोत्साहन
6. यातायात नियंत्रण
7. जनसंख्या के नगरों में पलायन पर प्रभावी नियंत्रण

1. नगर नियोजन – नगरों की बसावट पूर्व नियोजित योजनानुसार की जानी चाहिए ताकि उनमें वातावरण स्वास्थ्यप्रद सके। वहां पर्याप्त जल स्रोत एवं चौड़ी-चौड़ी सड़कें औद्योगिक क्षेत्रों से दूर तथा भवनों के निर्माण में काफी खुली जगह छोड़ी जाए ताकि प्रदूषण कम हो।

2. गंदी बस्तियों की सफाई की पर्याप्त व्यवस्था – गंदी बस्तियों की सफाई की जाए ताकि पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव को रोका जा सके। गंदी बस्तियों के लोगों को अन्यत्र उपयुक्त स्थानों पर बसाने की व्यवस्था की जाए।

3. प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का नगरों से दूर स्थानांतरण – नगरों के बीचो बीच या समीप में स्थित प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का यथाशीघ्र नगरों से दूर अन्यत्र स्थानों पर स्थानांतरण के उपयुक्त व्यवस्था की जानी जरूरी है।

4. प्रशासन द्वारा सतर्कता एवं शक्ति – प्रशासन को नगरों में व्याप्त समस्याओं के शीघ्र समाधान, परिवहन नियंत्रण, जलापूर्ति, विद्युत आपूर्ति, आवश्यक दैनिक उपभोग सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति आदि के प्रति सतर्कता और सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

5. आवासीय भवनों के निर्माण को प्रोत्साहन – नगरों में आवासीय भवनों की घोर कमी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा नियोजित ढंग से भवनों के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

6. यातायात नियंत्रण – नगरों में दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी यातायात नियंत्रण रखना चाहिए। भारी वाहनों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों से गुजरने पर रोक तथा वाहनों की गति नियंत्रण नियमों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। वैश्वीकरण के वर्तमान युग में शहरों में छोटे वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है उत्तर प्रदेश के लगभग प्रत्येक शहर में यातायात की समस्या विद्यमान है।

7. जनसंख्या के नगरों में पलायन पर प्रभावी नियंत्रण – ग्रामीण क्षेत्रों में भी नगरों जैसी सुख – सुविधाओं की व्यवस्था करना, आर्थिक सत्ता का विकेंद्रीकरण ग्रामीण जनसंख्या के रोजगार की पर्याप्त व्यवस्था आदि कतिपय उपाय हैं जिसमें गांवों से जनसंख्या के शहरों में पलायन पर नियंत्रण संभव है।

अस्वीकरण(Disclemar)

मित्रों इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी हमने अपने स्टडी के माध्यम से लिखा है। इसलिए यह आर्टिकल काफी हद तक सही है, अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है, तो आप लोग कमेंट करके बता सकते हैं।

Written by skinfo

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