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प्लेटो का जीवन परिचय और राजनीतिक जीवन कथा – Plato ka Jivan Parichay aur rajnitik Jivan Katha

नमस्कार दोस्तों आप सब का हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है आज हम अपने इस वेबसाइट Skinfo.co.in के माध्यम से इस आर्टिकल में चर्चा करने जा रहे हैं प्लेटो का जीवन परिचय और राजनीतिक जीवन कथा के बारे में-

प्लेटो का जीवन परिचय और राजनीतिक जीवन कथा Plato ka Jivan Parichay aur rajnitik Jivan Katha

प्लेटो का जन्म तत्कालीन यूनान के सबसे महान नगर राज्य में 427 ईसा पूर्व एथेंस में हुआ था। होली के बचपन का नाम अरिस्तोक्लीज था। प्लेटो शारीरिक रूप से सुडौल और भरे करने वाला नवयुवक थे और इसी से प्रभावित होकर उनके व्यायाम शिक्षक ने उन्हें प्लातोन कहना शुरू कर दिया जो बाद में प्लेटो शब्द में परिवर्तित हो गया। इसका एक नाम अफलातून भी है। लेकिन यह कोई अलग से नहीं है बल्कि प्लातोन काही अरबी विकृत रूप है। प्लेटो का जन्म एथेंस के एक समृद्ध कुल में हुआ था उनके पिता का नाम अरिस्तोन था, जिसकी वंशावली एथेंस के प्राचीन राजाओं से होती है उसी धन देवता एक पहुंचती थी उसकी माता का नाम पेरीतिओन था जो एथेंस के प्रसिद्ध काव्य राजनेता एवं सुप्रसिद्ध कानून निर्माता सोलन के कुल से संबंधित थीं। इतना ही नहीं 404 ई. पूर्व में जब एथेंस में प्रजातंत्र के स्थान पर 40 व्यक्तियों का शासन स्थापित हुआ तो उसमें प्लेटों के कई निकट संबंधी भी थे। प्लेटो का मामा चारमीडीज भी इनमें से एक था। जब प्लेटो बहुत कम उम्र का था तभी उसके पिता अरिस्तोन की मृत्यु हो गई और उसकी माता ने बाद में पेरीलैम्पीज से शादी कर ली जो कि एथेंस के शो में प्रजातंत्रवादी नेता परीप्लीज का घनिष्ठ मित्र था और पेरीक्लीजवादी दल का सक्रिय सदस्य था। प्लेटो अपने सौतेले पिता के घर में ही बड़ा हुआ जहां पर प्रजातंत्र समर्थक विचारों की जोरदार बहस हुआ करती थी। इस माहौल का निश्चित ही प्लेटों पर प्रभाव पड़ा और वह सक्रिय राजनीति की ओर आकर्षित हुआ परंतु जल्दी ही सक्रिय राजनीति से उसका मोहभंग हो गया।वह स्वयं कहता है कि युवा अवस्था में अन्य युवकों की तरह महीने भी सोचा कि बालिग होते ही मैं राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लूंगा लेकिन जल्दी ही मैं दर्शनशास्त्र की प्रशंसा में यह कहने को बजट हुआ कि केवल इसी से व्यक्त सर्वजनिक और व्यक्तिगत न्याय का रूप समझ सकता है और मैंने यह कहा कि राष्ट्र तब तक उपद्रव रहित नहीं होंगे जब तक या तो सच्चे और वास्तविक दार्शनिकों की श्रेणी राजनीतिक पदों पर अरुण नहीं होगी या राज्यों के शासनादेश में दर्शन शास्त्र का अध्ययन नहीं करेंगे।

इस तरह परिवर्तन के पीछे तत्कालीन परिस्थितियों का हाथ था। जिस एथेंस में प्लेटो पैदा हुआ था वह यूनान का एक प्रमुख नगर राज्य था तथा गुणों की खान था।परंतु जैसे-जैसे प्लेटों की उम्र बढ़ती गई उसने एथेंस का प्रभाव ही देखा। प्लेटो ने एथेंस को 30 वर्षीय पेलोपोनसिया के युद्ध में हार दे हुए अपनी आंखों से देखा। उसके आंखों के सामने ही इस हार से एथेंस में प्रजातंत्र की कमर टूट गई और 404 ई. पूर्व में वहां 30 व्यक्तियों का शासन स्थापित हुआ जिसमें भाग लेने के लिए प्लेटों को आमंत्रित किया गया था। परंतु इस शासन के क्रूर वर्धमन पूर्ण कार्यो के कारण प्लेटों को राजनीति से प्रेरित होने लगी परंतु शीघ्र ही जब एथेंस में इस व्यवस्था को समाप्त कर प्रजातंत्र की पुनर्स्थापना की गई तो शुरू में प्लेटो ने इसका स्वागत किया परंतु जब इसी शासन ने सुकरात को मृत्युदंड दे दिया तो प्लेटो ने अपने आप को राजनीति से बिल्कुल अलग कर लिया।

सुकरात की मृत्युदंड के समय प्लेटो की आयु 28 वर्ष की थी इस घटना का उसके कोमल मन पर इतना गहरा आघात लगा कि उसे राजनीति से विरक्त ही नहीं बल्कि घृणा हो गई और वह दर्शन की ओर प्रवृत्त हो गया

प्लूटो के सौतेले पिता ने उसे एक अच्छी औपचारिक शिक्षा दिलाई थी परंतु उसकी उच्च शिक्षा सुकरात के साथ उसके संलाप में ही हुई। प्लेटो सुकरात के संपर्क में कब आया या निश्चित रूप से तो नहीं कहा जा सकता परंतु तथ्य ऐसा बताते हैं कि किशोरावस्था संभवत 18 – 20 वर्ष की उम्र में ही वह सुकरात के संपर्क में आ गया था। प्लेट सुकरात के सानिध्य में अपने आपको कितना गौरवान्तित महसूस करता था, यह उसके ही कथन से स्पष्ट होता है। उसने स्वयं लिखा है कि ईश्वर का धन्यवाद है कि मैं यूनानी पैदा हुआ हूं और सबसे बढ़कर यह कि सुकरात के युग में पैदा हुआ हूं।

जब 399 ईसवी पूर्व में सुकरात को विष का प्याला दिया गया तो एथेंस में प्लेटो के जीवन के लिए भी संकट उत्पन्न हो गया क्योंकि वह सुकरात का प्रमुख शिष्य था और एथेंस की तत्कालीन प्रजातांत्रिक व्यवस्था का विरोधी भी। इसलिए वह अपने कुछ शिष्यों के साथ समीर के नगर मेघगरा जाकर कुछ समय तक रहा। इसके बाद प्लेटो 388 ई. पूर्व में सिसिली में दार्शनिक शासक के अपने विचार को व्यावहारिक रूप देने के लिए उपस्थित था। इस बीच लगातार 12 वर्षों तक वह क्या करता रहा इस संबंध में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। परंतु उसके इस अज्ञातवास के संबंध में जनश्रुति है कि उसने इस काल में ज्ञान प्राप्त के लिए नीरू इटली आज देशों का भ्रमण तो किया ही और गंगा के तट तक भारत की यात्रा की। कुछ भी हो लेकिन इतना तो निश्चित है कि प्लेटो इन 12 वर्षों में कई देशों में घूमा भले ना हो लेकिन उसने विभिन्न मत-मतान्तरों तथा विचारों का मानसिक ज्ञान अवश्य प्राप्त किया होग।

प्लेटो को स्वप्नलोकी दार्शनिक कहना कदर पसंद नहीं किया जा सकता है। क्योंकि उसने सिद्धांत को व्यावहारिक रूप देने के लिए अथक परिश्रम किया और अनेकों कष्ट सहे प्लेटो अपने विचारों को कार्य रूप में परिणत करने के लिए 387 ई. में सिसिली पहुंचा जहां पर उसने राजा दियोनिसियस को दार्शनिक शासन बनाने के लिए रिपब्लिक के सिद्धांतों को पढ़ाना शुरू किया। परंतु जब प्लेटो ने इस अध्ययन प्रक्रिया के दौरान दियोनिसियस के अन्याय पूर्ण एवं निरंकुश शासन की कठोर आलोचना की तो वह इतना ज्यादा नाराज हो गया कि उसने प्लेटों को दांत के रूप में अजाइना के टापू पर बेच दिया। यहां पर प्लेटो के एक मित्र अनीकैरिस न्यू से खरीद कर मुक्त कराया और एथेंस भेजा। बाद में जब प्लेटो के शिष्यों ने अनीकैरिस का धन लौटाना चाहा तो उसने वापस नहीं लिया तब प्लेटो ने इसी धन से एथेंस के बाहरी भाग में अकादमी की वाटिका खरीदी और यहीं पर उसने 386 ई. पूर्व अकादमी की स्थापना की जो पश्चात जगत में उच्चतर शिक्षा का पहला केंद्र बना।

प्लेटो की मृत्यु 81 वर्ष की अवस्था में 1 343 ईसवी पूर्व में हुआ वह अपने एक शिष्य के आग्रह पर एक विवाह समारोह में भाग लेने गया था। वहीं पर वह एक कमरे में सोने के लिए गया और सुबह जब उसका शिष्य उसी के पास पहुंचा तो उसने देखा कि दार्शनिकों को राजा और राजाओं को दर्शनिक बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाला उसका गुरु मृत्यु की रिपब्लिक में पहुंच चुका था।

यहां यह उल्लेखनीय है कि प्लेटों के अंतिम दिन यूनानी नगर राज्यों की गोधूली में बीते और उसकी मृत्यु के 1 दशक के भीतर ही एथेंस की स्वतंत्रता को उदीयमान मकदुनियन शक्ति द्वारा तहस-नहस कर दिया गया। अकादमी में प्लेटो के अंतिम व्याख्यान तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं से भरे पड़े हैं। परंतु प्लेटो की मृत्यु के बाद उसकी ख्याति बड़ी तीव्र गति से चतुर्दिक फैली और आज भी उसका नाम पढ़े सम्मान के साथ लिया जाता है और भविष्य में भी उसके द्वारा स्थापित आदर्श शासन व्यवस्था अन्य शासन व्यवस्थाओं के लिए मूल मापक यंत्र का कार्य करेगी।

अस्वीकरण (Disclemar)

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ा होगा समझा होगा और जाना होगा प्लेटो का जीवन परिचय और राजनीतिक जीवन कथा के बारे में विस्तार पूर्वक दोस्तों यह आर्टिकल हमने अपने शिक्षा के आधार पर लिखा है इसलिए यह आर्टिकल सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है, तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे।

Written by skinfo

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