नमस्कार दोस्तों आप सबका हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है आज हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति, शपथ, पदावधि एवं वेतन के बारे में की प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है उनकी शपथ कौन दिलाता है उनकी पदावधि एवं वेतन कैसे होती है यह सब आप सबको विस्तारपूर्वक बताएंगे।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति, शपथ, पदावधि एवं वेतन(Pradhanmantri ki Niyukti Shapath padavadhi AVN vetan)
संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाम मात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं। दूसरे शब्दों में राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति( Pradhanmantri ki Niyukti)
संविधान के प्रधानमंत्री के निर्वाचन और नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं दी गए अनुच्छेद 75 केवल इतना कहता है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा हालांकि इसका अभिप्राय या नहीं है कि राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने हेतु स्वतंत्र है सरकार के संसदीय व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है परंतु यदि लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में ना हो तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने वैयक्तिक विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकता है इस स्थिति में राष्ट्रपति सामान्यतया सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है और उससे 1 माह के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहता है राष्ट्रपति द्वारा इस विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग प्रथम बार 1979 में किया गया, जब तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने मोरारजी देसाई वाली जनता पार्टी के सरकार के पतन के बाद चरण सिंह (गठबंधन के नेता) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
एक स्थिति और भी है जब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के चुनाव व नियुक्ति के लिए अपना व्यक्तिगत निर्णय लेता है जब प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाए और उसका कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी ना हो ऐसा तब हुआ जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने की प्रथा को अनदेखा किया। भाई मैं कांग्रेस संसदीय दल से सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुना। हालांकि किसी ने वर्तमान प्रधानमंत्री की मृत्यु पर यदि सत्ताधारी दल एक नया नेता चुनता है तो राष्ट्रपति के पास से प्रधानमंत्री नियुक्त करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है।
सन 1980 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान में यह आवश्यक नहीं है कि एक व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त होने से पूर्व लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करें राष्ट्रपति को पहले प्रधानमंत्री की नियुक्ति करनी चाहिए। और तब एक यथोचित समय सीमा के भीतर उसे लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कहना चाहिए।
उदाहरण के लिए – चरण सिंह (1979), वी.पी. सिंह (1989), चंद्रशेखर (1990), पी.वी. नरसिम्हा राव (1991), अटल बिहारी बाजपेई (1996), एच.डी. देवेगौड़ा (1996), आई. के. गुजराल (1997) और पुन: अटल बिहारी बाजपेई 1998 इसी प्रकार प्रधानमंत्री नियुक्त हुए।
1997 में उच्च न्यायालय निर्णय दिया कि एक व्यक्ति को जो किसी भी सदन का सदस्य ना हो 6 माह के लिए प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। इस समयावधि में उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनना पड़ेगा अन्यथा वह प्रधानमंत्री के पद पर नहीं बना रहेगा।
संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है।
उदाहरण के लिए – इंदिरा गांधी (1966), देवेगौड़ा (1996) तथा मनमोहन सिंह (2004 और 2009) में राज्यसभा के सदस्य थे। दूसरी और ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को निम्न सदन (हाउस ऑफ कॉमंस) का सदस्य होना भी चाहिए।
शपथ, पदावधि एवं वेतन( Pradhanmantri ka Shapath padavadhi AVN vetan)
प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने करने से पूर्व राष्ट्रपति उसे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाता है। पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते हुए प्रधानमंत्री कहता है कि:
1. मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा।
2. मैं भारत के प्रवक्ता एवं अखंडता अक्षुड़ रखूंगा।
3. मैं श्रद्धा पूर्वक एवं शुद्ध अंतरण से अपने पद के दायित्वों का निर्वाहन करूंगा।
4. मैं भाई या पक्षपात अनुराग या द्वोष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।
प्रधानमंत्री गोपनीयता की शपथ के रूप में कहता है मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा। उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब तक के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्य के सम्यक निर्वाहन के लिए ऐसा अभी अच्छे तो हो मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रगट नहीं करूंगा।
प्रधानमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है तथा वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना सकता है हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि राष्ट्रपति किसी भी समय प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकता है। प्रधानमंत्री को जब तक लोकसभा में बहुमत हासिल है, राष्ट्रपति उसे बर्खास्त (हटा) नहीं कर सकता लोकसभा में अपना विश्वास मत खो देने पर उसे अपने पद से त्यागपत्र देना होगा अथवा त्यागपत्र ना देने पर राष्ट्रपति से बर्खास्त कर सकता है।
प्रधानमंत्री के वेतन व भत्ते संसद द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए जाते हैं। वह संसद सदस्य को प्राप्त होने वाले वेतन एवं भत्ते प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त व विषयक भत्ते मुफ्त आवास यात्रा भत्ते स्वास्थ्य सुविधाएं आदि प्राप्त करता है। सन 2001 में संसद ने उसे ब्याज विषयक भक्तों को 1500 से बढ़ाकर ₹3000 प्रतिमाह कर दिया है।
अस्वीकरण(Disclemar)
दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ा होगा दोस्तों इसमें जो बताई गई प्रधानमंत्री की नियुक्ति, शपथ, पदावधि एवं वेतन की जानकारी हमने अपने शिक्षा के अनुभव के आधार पर दिया है इसलिए यह आर्टिकल सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है, तो आप लोग कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे।