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राज्य विधानमंडल Rajya Vidhanandal

राज्य की राजनीतिक व्यवस्था में राज्य विधानमंडल की केंद्रीय एवं प्रभावी भूमिका होती है। संविधान के छठे भाग में अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधान मंडल की संगठन गठन कार्यकाल अधिकारियों प्रक्रिया विशेषाधिकार तथा शक्तियों आदि के बारे में बताया गया है। यद्यपि यह सभी संसद के अनुरूप हैं फिर भी इनमें कुछ विभेद पाया जाता है।

राज्य विधानमंडल – (Rajya Vidhanandal)

राज्य विधान मंडल के गठन में कोई और रुकता नहीं है अधिकार राज्यों में 1 सदस्य व्यवस्था है जबकि कुछ में द्विसदनीय है। वर्तमान में 2016 केवल 7 राज्यों में दो सदन है यह है आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश,बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और जम्मू एवं कश्मीर तमिलनाडु विधान परिषद अधिनियम 2010 लागू नहीं हुआ। आंध्र प्रदेश में विधान परिषद की स्थापना आंध्र प्रदेश विधान परिषद अधिनियम 2005 द्वारा की गई है। 56 के 7 वें संविधान संशोधन अधिनियम में मध्यप्रदेश के लिए विधान परिषद की स्थापना का उपबंध किया गया था। तथा इस संबंध में राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी की जानी थी जो अभी तक जारी नहीं की गई है। इसलिए अभी तक मध्य प्रदेश के एक सदस्य विधान मंडल ही हैं।

22 राज्यों में एक सजनी व्यवस्था है राज्य विधानमंडल में राज्यपाल एवं विधानसभा शामिल होते हैं जिन राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्था है वहां विधानमंडल में राज्यपाल विधान परिषद और विधान सभा होते हैं विधान परिषद उच्च सदन यानी (द्वितीय सदन या वरिष्ठो सदन है) जबकि विधानसभा निचला सदन (पहला सदन का लोकप्रिय सदन) होता है।

संविधान में राज्य में विधान परिषद के गठन एवं विघटन करने की व्यवस्था है। संसद एक विधान परिषद को यदि यह पहले से है विघटित कर सकती है। और यदि पहले से नहीं है इसका गठन कर सकती है यदि संबंधित राज्य के विधानसभा इस संबंध में संकल्प पारित करें इस तरह का कोई विशेष प्रस्ताव राज्य विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित होना जरूरी है। या बहुमत कुल मतों एवं उपस्थित सदनों के दो तिहाई से कम नहीं होना चाहिए। सदन का यह अधिनियम अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों हेतु संविधान का संशोधन नहीं माना जाएगा और सामान्य ज्ञान की तरह अर्थात साधारण बहुमत से पारित किया जाएगा।

संविधान सभा ने राज्य में दूसरे सदन के विचार की आलोचना इस आधार पर की कि यह जनता का प्रतिनिधित्व नहीं होगा या विधाई कार्यों में विलंब करेगा और संस्था बहुत खर्चीली होगी।

इसी कारण से या उपबंध किया गया है कि यदि किसी राज्य में विधान परिषद की स्थापना का गठन करना है तो उस राज्य को अपनी इच्छा व आर्थिक स्थिति का ध्यान रखना होगा।

उदाहरण—- आंध्र प्रदेश में 1957 में विधान परिषद का गठन किया गया और उसी तरह 1985 में इसे समाप्त कर दिया गया। 2007 में आंध्र प्रदेश में विधान परिषद को आंध्र प्रदेश विधान परिषद अधिनियम 2005 को लागू करने के बाद पुनर्जीवित किया गया तमिलनाडु विधान परिषद को 1986 में समाप्त कर दिया गया। और पंजाब एवं पश्चिम बंगाल के विधान परिषद को 1969 में समाप्त कर दिया गया।

2010 में तमिलनाडु विधानसभा ने राज्य में विधान परिषद को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। उसी के अनुसार संसद में तमिलनाडु विधान परिषद अधिनियम 2010 अधिनियमित किया जिससे कि राज्य में विधान परिषद से सृजित की जा सके। तथापि इस अधिनियम के लागू होने के पहले ही तमिलनाडु विधानसभा में 2011 में एक अन्य प्रस्ताव में प्रस्तावित विधान परिषद को उनमुलित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

दो सदनों का संगठन

विधानसभा का गठन

संख्या : विधानसभा के प्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष मतदान से वयस्क मताधिकार के द्वारा निर्वाचित किया जाता है इसकी अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 तय की गई है। इसका अर्थ है कि 60 से 500 के बीच कि यह संख्या राज्य की जनसंख्या एवं इसके आकार पर निर्भर है हालांकि अरुणाचल प्रदे, सिक्किम एवं गोवा के मामलों में यह संख्या 30 बताई गई है एवं मिजोरम नागालैंड के मामले में 40 एवं 46 इसके अलावा सिक्किम और नागालैंड विधानसभा के कुछ सदन अप्रत्यक्ष रूप से भी चुने जाते हैं।

नामित सदस्य: राज्यपाल आंग्ल भारतीय समुदाय से एक सदस्य को नामित कर सकता है यदि समुदाय का प्रतिनिधि विधानसभा में पर्याप्त नहीं होता यह उपबंध 10 वर्षों 1960 तक के लिए था लेकिन इसे हर बार 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया 95वें संविधान संशोधन 2009 में इसे 2020 तक लिए बढ़ा दिया गया था।

क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र : विधानसभा के लिए होने वाले प्रत्यक्ष निर्वाचन पर नियंत्रण के लिए हर राज्य को क्षेत्रीय विभाजन के आधार पर बांट दिया गया है। इन चुनाव क्षेत्रों का निर्धारण राज्य को आवंटित सीटों की संख्या को जनसंख्या के अनुपात से तय किया गया है। दूसरे शब्दों में संविधान में यह सुनिश्चित किया गया कि राज्य के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को समान प्रतिनिधित्व मिले संख्या का अभिप्राय वह पिछली जनगणना है जिसकी सूची प्रकाशित की गई हो।

प्रत्येक जनगणना के बाद पुनर्निर्धारण : प्रत्येक जनगणना के बाद पुनर्निर्धारण होगा।

(अ) प्रत्येक राज्य के विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से सीटों का निर्धारण।

(ब) हर राज्य का निर्वाचन क्षेत्रों के हिसाब से विभाजन संसद को इस बात का अधिकार है कि वह संबंधित मामले का निर्धारण करें इसी उद्देश्य के तहत 1952,1962, 1972 और 2002 में संसद में परिसीमन आयोग अधिनियम पारित किए।

1976 के 42 में संशोधन में विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों को 1973 के आधार पर वर्ष 2000 तक के लिए निश्चित कर दिया गया। पुनर्निर्धारण पर यह प्रतिबंध अगले 25 वर्ष 2026 तक बढ़ा दिया गया। 2001 के 84 वें संशोधन अधिनियम द्वारा इसी तरह जनसंख्या में अपन को भी तय कर दिया गया।

84 वें संशोधन अधिनियम 2001 में सरकार को यह अधिकार भी दिया गया कि विधानसभा क्षेत्रों की तुलनात्मक पुनर्निर्धारण को 1991 की जनगणना के आधार पर किया जाए उनके बाद 87 में संशोधन अधिनियम 2003 में निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण 2001 की जनसंख्या के हिसाब से करने की व्यवस्था की गई हालांकि या पुनर्निर्धारण प्रत्येक राज्य में विधानसभा की कुल सीटों के अनुसार ही संभव है।

अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए स्थानों का आरक्षण : संविधान में राज्य की संख्या के अनुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति की सीटों की व्यवस्था की गई।

मूल रूप से या आरक्षण 10 वर्ष 1960 तक के लिए था लेकिन इस व्यवस्था को हर बार 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया अब पंचानवे संशोधन अधिनियम 2009 द्वारा इसे 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया

परिषद का गठन

संख्या : विधानसभा सदस्यों के विपरीत विधान परिषद के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं परिषद में अधिकतम संख्या विधानसभा की एक तिहाई और न्यूनतम 40 निश्चित है। इसका मतलब संबंधित राज्य में परिषद सदस्य की संख्या विधानसभा के आकार पर निर्भर है ऐसा या सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि प्रत्येक निर्वाचित सदस्य का प्रभावित राज्य के मामलों में बना रहे यद्यपि संविधान ने परिषद का अधिकतम एवं न्यूनतम संख्या तय कर दी गई है। इसकी वास्तविक संस्था का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है।

अस्वीकरण-(Disclemar)

दोस्तों या पोस्ट हमने अपने स्टडी के माध्यम से लिखा है इसलिए यह पोस्ट काफी हद तक सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयास करेंगे।

Written by skinfo

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