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राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य – Rashtrapati ki shaktiyan v kartavya

नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप लोग दोस्तों आप सबका हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम अपने वेबसाइट के माध्यम से इस आर्टिकल में चर्चा करने जा रहे हैं राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य के बारे में दोस्तों अगर आप किसी कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं जैसे यूपीएससी, यूपीसीएसई व ऐसे कई कंपटीशन एग्जाम है जिसकी तैयारी अगर आप कर रहे हैं तो आप सबके लिए या आर्टिकल अच्छा साबित हो सकता है।

राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य( Rashtrapati ki shaktiyan V Kartavya)

दोस्तों राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियां व किए जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं:

1. कार्यकारी शक्तियां
2. विधायी शक्तियां
3. वित्तीय शक्तियां
4. न्यायिक शक्तियां
5. कूटनीतिक शक्तियां
6. सेन्य शक्तियां
7. आपातकालीन शक्तियां

कार्यकारी शक्तियां(karyakari shaktiyan)

राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियां और कार्य इस प्रकार हैं हैं

( i ) भारत सरकार के सभी शासन संबंधी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं:

(ii) वाह नियम बना सकता है ताकि उसके नाम पर दिए जाने वाले आदेश और अन्य आदेश वैध हो।

(iii) वह ऐसे नियम बना सकता है जिससे केंद्र सरकार सहज रूप से कार्य कर सके तथा मंत्रियों को उपकारी सहायता से वितरित हो सके।

(iv) वह प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है, तथा वह उसके प्रसादपर्यंत कार्य करते हैं।

(v) वह महान्यायवादी की नियुक्ति करता है तथा उसके वेतन आज निर्धारित करता है। महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर कार्य करता है।

(vi) वाह भारत के महा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तो, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों, राज्य के राज्यपालों, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति करता है।

(vii) युवा केंद्र के प्रशासनिक कार्यों और विधायिका के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी की मांग प्रधानमंत्री से कर सकता है।

(viii) राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से किसी ऐसे निर्णय का प्रतिवेदन भेजने के लिए का सकता है जो किसी मंत्री द्वारा लिया गया हो, किंतु पूरी मंत्री परिषद ने इसका अनुमोदन नहीं किया हो।

(ix) वाह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए एक आयोग की नियुक्ति कर सकता है।

(x) वह केंद्र-राज्य तथा विभिन्न राज्यों के मध्य सहयोग के लिए एक अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति कर सकता है।

(xi) वह स्वयं द्वारा नियुक्त प्रशासकों के द्वारा केंद्र शासित राज्यों का प्रशासन सीधे संभालता है।

(xii) वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है। उसे अनुसूचित क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन की शक्तियां प्राप्त हैं।

विधायी शक्तियां(Vidhayee saktiyan)

राष्ट्रपति भारतीय संसद का एक अभिन्न अंग है तथा उसे निम्नलिखित विधायी शक्तियां प्राप्त हैं:

(i) वह संसद की बैठक बुला सकता है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है। और लोकसभा को विघटित कर सकता है। वह संसद के संयुक्त अधिवेशन का आहवान कर सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष कर सकता है।

(ii) वह प्रत्येक नए चुनाव के बाद तथा प्रत्येक वर्ष संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है।

(iii) वह संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्यथा किसी संबंध में संसद को आदेश भेज सकता है।

(iv) यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हो तो वह लोकसभा की किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता शौंप सकता है। इसी प्रकार यदि राज्यसभा के सभापति व उपसभापति दोनों पद रिक्त हो तो वह राज्यसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता शौंप सकता है।

(v) व साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है।

(vi) वाह लोकसभा में दो आंग्ल – भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।

(vii) वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता के प्रश्न पर निर्णय करता है।

(viii) संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयक को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अथवा आज्ञा आवश्यक है। उदाहरणार्थ, भारत की संचित निधि से खर्च संबंधी विधेयक अथवा राज्यों की सीमा परिवर्तन या नए राज्य के निर्माण या संबंधी विधेयक।

(ix) जब यह विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह:

(अ) विधेयक को अपनी संस्कृति देता है; अथवा

(ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है; अथवा

(स) विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) संसद के पुनर्विचार के लिए लौटा देता है। हालांकि यदि संसद विधेयक को संशोधन या बिना किसी संशोधन के पुनः पारित करती है तो राष्ट्रपति की अपनी सहमति देनी ही होती है।

(x) राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपति:

(अ) विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है; अथवा

(ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है; अथवा

(स) राज्यपाल को निर्देश देता है कि विधायक (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) को राज्य विधायिका को पुनर्विचार हेतु लौटा दें अथवा ध्यान देने की बात है कि यदि राज्य विधायिका विधेयक को पुनाह राष्ट्रपति की सहमति के बिना भेजती है तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बात नहीं है।

(xi) वाह महानियंत्रक व लेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है।

(xiii) वह अंडमान व निकोबार दीप समूह, लक्ष्यदीप, दादर एवं नगर हवेली एवं दमन व दीव में शांत विकास व सुशासन के लिए विलियम बना सकता है। पुडुचेरी के विवाह नियम बना सकता है परंतु केवल तब जब वहां की विधानसभा निलंबित हो अथवा विघटित अवस्था में हो।

वित्तीय शक्तियां (vittiya shaktiyan)

राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां व कार्य निम्नलिखित हैं

(i) धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वाअनुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है।

(ii) वह वार्षिक वित्तीय विवरण (केंद्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखता है।

(iii) अनुदान की कोई भी मांग उसकी सिफारिश के बिना नहीं की जा सकती है।

(iv) वह भारत की आकस्मिक निधि से, किसी अदृश्य व्यय हेतु अग्रित भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।

(v) वह राज्य व केंद्र के मध्य राजस्व के बंटवारे के लिए प्रत्येक 5 वर्ष में 1 वित्त आयोग का गठन करता है।

न्यायिक शक्तियां(nyayik shaktiyan)

राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां और कार्य निम्नलिखित हैं:

(i) वह वह चेतन न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

(ii) वह उच्चतम न्यायालय से किसी विधि तथ्य पर सलाह ले सकता है परंतु उच्चतम न्यायालय की यात्रा राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है।

(iii) वह किसी अपराध के लिए दो से सिद्धि किसी व्यक्ति के लिए दंड देश को निलंबित माफ या परिवर्तित कर सकता है, या दंड में क्षमादान प्राणदंड स्थगित राहत और माफी प्रदान कर सकता है।

(अ) उन सभी मामलों में जिनमें सजा सैन्य न्यायालय में दी गई हो,

(ब) उन सभी मामलों में, जिनमें केंद्रीय विधियों के विरुद्ध अपराध के लिए सजा दी गई हो,

(स) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड का स्वरूप प्राण दंड हो।

कूटनीतिक शक्तियां(kutnitik shaktiyan)

अंतर्राष्ट्रीय संध्या और समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं हालांकि इनके लिए संसद की अनुमति अनिवार्य है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है और कूटनीतिज्ञ जैसे – राजदूतों व उच्चआयुक्तों को भेजता है एवं उनका स्वागत करता है।

सैन्य शक्तियां(Sainya shaktiyan)

वह भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है। इस क्षमता में वह थल सेना, जल सेना, वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। वह युद्ध या इसकी समाप्ति की घोषणा करता है किंतु या संसद की अनुमति के अनुसार होता है।

आपातकालीन शक्तियां(aapatkalin shaktiyan)

उपरोक्त साधारण शक्तियों के अतिरिक्त संविधान ने राष्ट्रपति को निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में आपातकालीन शक्तियां भी प्रदान की हैं:

(i) राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352);

(ii) राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 तथा 365);

(iii) वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।

अस्वीकरण(Disclemar)

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी विस्तार पूर्वक पड़ा होगा। दोस्तों इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी हमने अपने स्टडी के माध्यम से लिखा है इसलिए यह आर्टिकल बिल्कुल सही है। अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है, तो कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न जरूर करेंगे।

Written by skinfo

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