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संसद के कार्य तथा शक्तियां अथवा अधिकार – Sansad ke Karya tatha shaktiyan athva Adhikar

नमस्कार दोस्तों आप सब का हमारे वेबसाइट में बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों आज हम अपने वेबसाइट के माध्यम से इस आर्टिकल में चर्चा करने जा रहे हैं सहज और सरल शब्दों में संसद के कार्य तथा शक्तियां अथवा अधिकार के बारे में-

संसद के कार्य तथा शक्तियां अथवा अधिकार (Sansad ke Karya tatha shaktiyan athva Adhikar)

भारत में ब्रिटिश शासन काल में 1919 और 1935 के अधिनियम के अंतर्गत जिस विधानमंडल की स्थापना की गई थी वह बाहरी सख्त ब्रिटिश संसद के अधीन था लेकिन नवीन संविधान के अंतर्गत गठित भारतीय संसद किसी भी बाहरी शब्द के अधीन नहीं है और इस दृष्टि से इसे संप्रभुतासंपन्न विधानमंडल कहा जा सकता है, किंतु भारतीय संसद उस अर्थ में सर्वोच्च और संप्रभुता संपन्न संस्था नहीं है जिस अर्थ में ब्रिटिश संसद है।

बेटे सांसद के द्वारा ब्रिटेन के समस्त क्षेत्र और सभी विषयों के संबंध में किसी भी प्रकार के कानून का निर्माण किया जा सकता है। और ब्रिटिश संसद द्वारा निर्मित कानून को किसी के भी द्वारा अवैध घोषित नहीं किया जा सकता किंतु भारतीय संविधान में 3 ऐसे लक्षण हैं, जिनके कारण संसद के कानून निर्माण की सत्ता सीमित हो गई है।

1. संविधान की सर्वोच्चता की व्यवस्था – प्रथम, संविधान के द्वारा संसद की सर्वोच्चता में ही वरन् संविधान की सर्वोच्चता के विचार का प्रतिपादन किया गया है। और भारतीय संविधान कठोर है जिसके कारण संसद की कानून निर्माण की शक्तियां सीमित हो गई है।

2. संघात्मक व्यवस्था की स्थापना – द्वितीय, संविधान के द्वारा संघात्मक व्यवस्था की स्थापना की जाने के कारण संसद उन विषयों पर कानून का निर्माण नहीं कर सकती, जो विषय संविधान के द्वारा राज्य सरकारों को सौपे गए हैं।

3. मूल अधिकार और न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था – तृतीय , संसद के द्वारा मूल अधिकारों के विरुद्ध किसी कानून का निर्माण नहीं किया जा सकता। इन सबके अतिरिक्त संविधान के द्वारा न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था की गई है जिसके अनुसार संसद द्वारा निर्मित कानूनों की न्यायपालिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जांच की जाती है। यदि सर्वोच्च न्यायालय समझौता है कि संसद के द्वारा किन्हीं विशेष कानूनों का निर्माण करने में संविधान का उल्लंघन किया गया है, तो सर्वोच्च न्यायालय इन कानूनों को अवैधानिक घोषित कर सकता है। इस दृष्टि से भारतीय संसद की स्थिति ब्रिटिश संसद और अमरीकी कांग्रेस के मध्य में है।

वस्तुतः ब्रिटेन में संसदीय सर्वोच्चता का सिद्धांत अपनाया गया है। वहीं अमेरिका में न्यायिक सर्वोच्च ता का सिद्धांत लागू है परंतु भारत में संविधान की सर्वोच्चता का सिद्धांत दिया गया है तथा इसके माध्यम से संसदीय सर्वोच्चता एवं न्यायिक सर्वोच्च ता के मध्य समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया गया है। इन सीमाओं के बावजूद संविधान के द्वारा संसद को व्यापक शक्तियां प्रदान की गई है और संसद की प्रमुख शक्तियों का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है:

(1) विधायी शक्तियां – संसद का सबसे प्रमुख कार्य राष्ट्रीय हितों को दृष्टि में रखते हुए कानूनों का निर्माण करना है। संसद को संघीय सूची के 97 और समवर्ती सूची के 47 विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार प्राप्त है। यद्यपि समवर्ती सूची के विषयों पर संघीय संसद और राज्य विधानमंडल दोनों के द्वारा ही कानूनों का निर्माण किया जा सकता है किंतु इन दोनों द्वारा निर्मित कानूनों में पारस्परिक विरोध होने की स्थिति में संसद द्वारा निर्मित कानून की मान्य होंगे संसद के द्वारा अवशेष विषयों पर भी कानून का निर्माण किया जा सकता है, क्योंकि संविधान के द्वारा अवशेष शक्तियां संघ को सौंपी गई हैं। इसके अतिरिक्त सभी संघीय क्षेत्रों के लिए संसद को सदैव ही सभी विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।

(2) संविधान के संशोधन की शक्ति – संविधान के संशोधन के संबंध में संसद को महत्वपूर्ण शक्ति प्राप्त है। संविधान के अनुसार संविधान में संशोधन का प्रस्ताव संसद में ही प्रस्तावित किया जा सकता है किसी राज्य के विधान मंडल में नहीं।

(3) वित्तीय शक्तियां – अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही ऐसा माना जाता है कि जनता के धन पर जनता के प्रतिनिधियों को ही पूर्ण अधिकार प्राप्त होना चाहिए। संविधान द्वारा स्थापित प्रजातंत्र व्यवस्था में इस विचार को पूर्णतया स्वीकार किया गया है। जनता के प्रतिनिधि होने के नाते भारतीय संसद को राष्ट्रीय वित्त पर पूर्ण अधिकार प्राप्त है और प्रतिवर्ष वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित बजट (राष्ट्रीय आय व्यय का लेखा) जब तक संसद (लोकसभा) से सरकार ना कर लिया जाए उस समय तक आएंगे से संबंधित कोई कार्य नहीं किया जा सकेगा।

(4) प्रशासनिक शक्तियां – भारतीय संविधान के द्वारा संसदात्मक व्यवस्था की स्थापना की गई है। अतः संविधान के अनुसार संघीय कार्यपालिका अर्थात मंत्रिमंडल संसद (व्यवहार में लोकसभा) के प्रति उत्तरदाई होता है। मंत्रिमंडल केवल उसी समय तक अपने पद पर रहता है जब तक कि उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो।

(5) निर्वाचन संबंधी शक्तियांअनुच्छेद 54 के द्वारा संसद को कुछ निर्वाचन संबंधी शक्तियां प्रदान की गई है संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए गठित निर्वाचन मंडल के अंग हैं अनुच्छेद 66 के अनुसार संसद सदस्य दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करते हैं।

(6) विविध शक्तियां – उपर्युक्त के अतिरिक्त संसद को कुछ अन्य शक्तियां भी प्राप्त है:

(क) संसद के दोनों सदन संविधान द्वारा निर्धारित विशेष प्रक्रिया के आधार पर राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास कर उसे पदच्युत कर सकते हैं। इस प्रकार यह दोनों सदा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को अक्षमता व दुराचरण के आधार पर पदच्युत करने का प्रस्ताव पास कर सकते हैं। इस प्रकार का प्रस्ताव प्रत्येक सदन में दो तिहाई बहुमत द्वारा पारित होना चाहिए। उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा द्वारा पारित प्रस्ताव लोकसभा द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।

(ख) राष्ट्रपति द्वारा घोषित संकटकालीन घोषणा को निश्चित अवधि से अधिक समय तक लागू रखने के लिए संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है।

(ग) अंत में सांसद सार्वजनिक विवाह स्थल का कार्य करती है इस दृष्टि से संसद लोकप्रिय भावना के दर्पण तथा शिक्षक का कार्य करती है।

निष्कर्ष(conclusion)

दोस्तों संविधान के अनुच्छेद वनवासी द्वारा व्यवस्था की गई है कि भारतीय संघ की एक संसद होगी जिसका निर्माण राष्ट्रपति तथा दो सदनों से मिलकर होगा जिनके नाम क्रमशः लोकसभा तथा राज्यसभा होंगे वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश राज्यों में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका की ही व्यवस्था है। अतः भारतीय संविधान में संघीय क्षेत्र में एक द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका की स्थापना करता है इस द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका को संविधान के द्वारा संसद का नाम दिया गया है। संसद के निम्न तीन अंग हैं:

(1) राष्ट्रपति – जो कार्यपालिका का वैज्ञानिक प्रधान है, लेकिन जिसकी कानून निर्माण के क्षेत्र में भी भूमिका है।

(2)राज्यसभा – जो प्रथम या निम्न सदन या लोकप्रिय सदन है।

(3) राज्यसभा – जो द्वितीय अर्थात उच्च सदन या वरिष्ठ सदन है।

अस्वीकरण(Disclemar)

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप लोगों ने इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी जो की संसद के कार्य तथा शक्तियां अथवा अधिकार के बारे में बताया है दोस्तों यह जानकारी हमने अपने शिक्षा के अनुभव के आधार पर दी है इसलिए यह आर्टिकल बिल्कुल सही है अगर आप सबको इसमें कोई मिस्टेक दिखाई पड़ता है तो आप लोग कमेंट करके बता सकते हैं हम उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे

Written by skinfo

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